Monday, December 4, 2006

मिट्टी मे इन्सान

मैने देखे खेत सुहाने, और खेतो कि शान.

मैने मिट्टी को सोना करते देख इन्सान.


रह्ट चलाते डन्गर देखे, देखी मेहनत कि तस्वीर.

खेत जोतते, रक्त बहाते पशुऔ के तपते शरीर

अब नही दिखता है रोटी मे क्यो वह दम भपूर्.

मैने देखा है अबके आटे से बेहतर बूर

मै मानव मे ढून्ढ रहा हू मिट्टी कि पहचान

मैने मिट्टी को सोना करते देख इन्सान.

2/9/2002

1 comment:

Chakrapani Himanshu said...

aapki kavitye sochne ko vivash karti hai aur dil ko chhoo jati hai.
Thanx!!!
Chakrapani Himanshu

 
blogvani