Wednesday, February 21, 2007
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जब कोई विचार दिल और दिमाग में रासायनिक क्रिया करता है तो संवेदनाएं कुलमुलाने लगती हैं. तब पूरे शरीर मे एक खलबली मचती है. कुछ बाहर आने को मचलता है. यकायक शब्द बाहर आजाते हैं. कुछ शब्द गुच्छ से जुडने लगते हैं. जिन्हें देख कर मन प्रसन्न होता है. जब मित्रों को दिखाता हूं तो वह वाह वाही देते है, बधाई मिलती है. सुनाता हूं तो लोग तालियां बजाते है. मैं इतराता हूं. जब कुछ सृजित होता है तो गौरवान्वित हो जाता हूं.
1 comment:
sahi hai ...... kam log itna aacha prayas kartein hai
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