Tuesday, September 18, 2007

कुछ बात कर

आज के हालात पर कुछ बात कर
आज टूटे हाथ पर कुछ बात कर

मै पिता से दूर हूं क्योंकर भला
एक बयां के घोंसले की बात कर

गांव का बरगद बुजुर्गों का कहा
बदहाल से अब होंसलों की बात कर

है पेट की पीडा रिवाजों से बडी
त्योहार के इस फांसले की बात कर

आंगन मे उगी दीवार को यूं देखकर
आतंक से इन घायलों की बात न कर

3 comments:

Ashish Maharishi said...

आपकी कविताओं में एक सच्चाई और दर्द है..जिसे हमेशा बहार आने दीजियेगा

अभिषेक सागर said...

योगेश जी
बहुत सुदर कविता। आज के हालात पर सटीक टिप्पनी।

-abhishek sagar & rachna sagar

Udan Tashtari said...

सुन्दर भाव हैं योगेश भाई.

 
blogvani