कैसा अजीब दौर है, इस जहां में अब
गुर्दे चोरी हो रहे, कैसा भया गजब
बेदिल फिरती देहों से क्या चाहते हैं आप
जीव जीव सब एक हैं हत्या माने पाप
जो नित कलेजे चीर कर करते देखे मौज
महानगर में देखिये, मांसाहारी की फौज
फिर गुर्दों का व्यापार भी उतना नहीं अजब
गुर्दे चोरी हो रहे, कैसा भया गजब
Tuesday, February 12, 2008
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