Wednesday, April 11, 2007

कुछ कटु से प्रश्न है अर्से से मुझको घेरे

सवाल करना चाहता हूं
कुछ सवाल हैं मेरे.

कुछ कटु से प्रश्न है
अर्से से मुझको घेरे

एक सवाल है भूख का
एक सवाल है पेट
एक सवाल है काम का
बदहाली से भेंट
कोई आज बता दे मुझको
कैसे हटे अंधेरे.
कुछ कटु से प्रश्न है
अर्से से मुझको घेरे

एक सवाल सबंध है,
एक सवाल है बंधन.
एक सवाल प्रेम का
एक सवाल स्पंदन.
साथ निभाने में विफल
क्यों हो रहे है फेरे
कुछ कटु से प्रश्न है
अर्से से मुझको घेरे

मजहब एक सवाल है
एक सवाल है कर्म

एक सवाल है आचरण
एक सवाल है धर्म
क्यों पाखंडी आ जुटे
शहर में बहुतेरे.
कुछ कटु से प्रश्न है
अर्से से मुझको घेरे

3 comments:

Unknown said...

बहुत सुंदर!

Udan Tashtari said...

कुछ कटु से प्रश्न है
अर्से से मुझको घेरे


--इन्हीं के उत्तर के लिये मैं भी चिट्ठावन में विचर रहा हूँ.

राजीव रंजन प्रसाद said...

योगेश जी आपके सवाल गंभीर है..और जिस तरह से आपने उन्हे प्रस्तुत किया है, वह हर किसी के सवाल बन जायेंगे..सवालों के प्रस्तुतिकरण में ही आपने जवाब भी छिपा रखे हैं..बहुत खूब लिखा है..

*** रजीव रंजन प्रसाद

 
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