Friday, May 18, 2007

उसका गम जब दीख गया अपना खुद ही हो गया कम

एक समंदर एक हैं हम
एक खुशी है एक है गम

क्या कुछ उसके पास नहीं
अपने हिस्से कितना कम

क्यों मै धरती पर आया,
क्यों यहां पर मिल गये हम

जब मैंने उससे बातें की
कितने खुश थे उस दिन हम

उसने मुझको छोडा था.
हममें कब था इतना दम.

उसके मुख की एक खुशी
पर हो गई अपनी आंखे नम

उसका गम जब दीख गया
अपना खुद ही हो गया कम

5 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत अच्छे !
घुघूती बासूती

vishesh said...

बढि़या रचना

Anonymous said...

अत्यन्त भावप्रद योगेश जी

Monika (Manya) said...

सरल , सुगम और सुंदर भाव..

Divine India said...

प्रेम और भावना का अद्भुत मेल हर शब्द मुखर है और कुछ इशारा दे रही हैं…बहुत खुब!!!

 
blogvani