आंसू पानी हो जाते हैं
लोग रुमानी हो जाते हैं
पल भर मिलकर कभी कभी कुछ,
लोग कहानी हो जाते हैं
एक बदन के हिस्से देखे
मौन आंख मे किस्से देखे
दूर दूर से प्यार की खातिर
लोग जवानी खो जाते हैं
पल भर मिलकर कभी कभी कुछ,
लोग कहानी हो जाते हैं
कोई बिछडे कोई रोए
कोई पाए कोई खोए
छोटी सी एक जी के उमरिया
लोग निशानी हो जाते हैं
पल भर मिलकर कभी कभी कुछ,
लोग कहानी हो जाते हैं
Tuesday, July 17, 2007
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9 comments:
संवेदनशील ।
योगेश जी,बहुत बढिया रचना है।बधाई।
एक बदन के हिस्से देखे
मौन आंख मे किस्से देखे
दूर दूर से प्यार की खातिर
लोग जवानी खो जाते हैं
पल भर मिलकर कभी कभी कुछ,
लोग कहानी हो जाते हैं
bahut bahut khoob yogesh aapki kavita main bahut gahre vichar hai aur rawani bhi khoob hai.
aapki kavita ki last para bahut achha laga.
pahli hi baat padha hai aapko magar ab aage padhne ka intezaar rahega
बहुत ही अच्छा गीत। मजा आ गया। जी कर रहा था गाकर पढ़ूं
वाह जी कभी कभी तो आप कमाल कर जाते है.और सबसे ब्ढिया ये कि मुझे मेल करदी है धन्यवाद
ये लाईने अच्छी ज्यादा अच्छी लगॊई
एक बदन के हिस्से देखे
मौन आंख मे किस्से देखे
दूर दूर से प्यार की खातिर
लोग जवानी खो जाते हैं
पल भर मिलकर कभी कभी कुछ,
लोग कहानी हो जाते है
बहुत बढ़िया. इसे तो अपनी आवाज में सुनाओ-पॉडकास्ट करो. बधाई.
बढ़िया
पढ़कर फराज अहमद फराज की वो लाइनें याद आयीं
फराज ख्वाब नजर आती है दुनिया हमको
जो लोग जाने जहां थे, हुए फसाना वो
बहुत बढ़िया लिखा है ..अच्छा लगा ...बधाई
behad achchhaa likhaa hai
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