आओ कुछ ऐलान सा करदें हम भी आज जमाने से
हर रिश्ता रिश्ता होता है, केवल मित्र निभाने से
हमको अपनी सोच के जैसा एक खिलोना मिला नहीं
बाग में मेरे कोई अनोखा फूल सलोना खिला नहीं
नहीं धूप से बच पाओगे धूप धूप चिल्लाने से
नई जीत की राह मिलेगी हार से हाथ मिलाने से
आओ कुछ ऐलान सा करदें हम भी आज जमाने से
बिना पैर के मैं चल पाऊं ऐसा मुझे हौंसला दो
पीडा सह सह मैं जी पाऊं मुझको एक घौंसला दो
सुर और साज कब कोई शिकवा करते हैं तराने से
कभी कभी मन हलका हो जाता है बात बताने से
आओ कुछ ऐलान सा करदें हम भी आज जमाने से
Thursday, July 19, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
नई जीत की राह मिलेगी हार से हाथ मिलाने से
आओ कुछ ऐलान सा करदें हम भी आज जमाने से
सुन्दर अभिव्यक्ति।
Post a Comment